BJP had started this tradition by taking out the Kalash Yatra of Atal Bihari, now in the same way the ashes of farmers will go all over the country. | पूर्व PM वाजपेयी की अस्थियों को 100 नदियों में प्रवाहित किया था; अब किसान भी लखीमपुर से पूरे देश में कलश ले जाएंगे
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गाजियाबाद28 मिनट पहलेलेखक: सचिन गुप्ता
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लखीमपुर खीरी में तीन अक्टूबर को हिंसा में मारे गए 4 किसानों और एक पत्रकार की आत्मा की शांति के लिए आज अंतिम अरदास है। इसके बाद यहां से अस्थि कलश यात्रा निकाली जाएगी, जो पूरे देश में जाएगी। दरअसल, भाजपा ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और कल्याण सिंह के निधन के बाद उनकी अस्थि कलश यात्रा कई राज्यों में निकाली थी। अब किसान इसी तरह अपने मृत साथियों की अस्थि कलश यात्रा निकालकर सरकार को घेरने की तैयारी में हैं।

पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर पीएम नरेंद्र मोदी ने उनके अस्थि कलश सभी प्रदेश अध्यक्षों को सौंपे थे।
100 नदियों में प्रवाहित की गई थीं अस्थियां
पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने 16 अगस्त 2018 को दिल्ली एम्स में अंतिम सांस ली थी। उनकी अस्थियों को देश की 100 नदियों में प्रवाहित किया गया। 20 दिन तक देश के सभी राज्यों में प्रार्थना सभाएं हुईं। यूपी के 75 जिलों में अस्थि कलश यात्रा निकाली गई। दिल्ली में एक ऐसी यात्रा में पीएम नरेंद्र मोदी खुद पांच किलोमीटर पैदल चले।

पूर्व सीएम कल्याण सिंह की अस्थि कलश यात्रा बुलंदशहर के नरौरा से शुरू होकर यूपी के तमाम शहरों में गई थी।
कल्याण सिंह की अस्थियां गंगा, संगम, सरयू में विसर्जित
यूपी के पूर्व सीएम एवं राजस्थान के पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह का 21 अगस्त 2021 को लंबी बीमारी के बाद लखनऊ के एसजीपीआई में निधन हो गया। 23 अगस्त को उनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार बुलंदशहर जिले के नरौरा गंगा घाट पर हुआ। तय हुआ कि गंगा, संगम प्रयागराज, सरयू नदी अयोध्या में विसर्जित की जाएंगी। यूपी से हरिद्वार तक कई जिलों में अस्थि कलश यात्रा भी निकाली गई।
लखीमपुर खीरी के तिकोनिया में फसल काट कर बड़े स्थान पर टैंट लगाया गया है, जहां आज अंतिम अरदास होनी है।
खीरी से यूपी के प्रत्येक जिले को एक-एक कलश
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत के अनुसार, चार शहीद किसानों व एक पत्रकार के अस्थि कलश जिला, मंडल और प्रदेशवार भेजे जाएंगे। उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में शहीद किसान यात्रा निकलेगी। बाकी अन्य राज्यों को एक-एक कलश भेजा जाएगा। संयुक्त किसान मोर्चा के स्थानीय पदाधिकारी तय करेंगे कि अस्थियों का विसर्जन क्षेत्रवार कहां-कहां होगा। इन यात्राओं का समापन 24 अक्टूबर को होगा।

अस्थि विसर्जन की धार्मिक मान्यता तो है ही, इसके साथ वैज्ञानिक मान्यता भी है।
अस्थि विसर्जन की धार्मिक मान्यता
मां गंगा श्री हरि के चरणों से निकलीं और भगवान शिव की जटाओं में वास करते हुए पृथ्वी पर आईं। गरुण पुराण समेत कई ग्रंथ-वेद में जिक्र है कि गंगा देव नदी या स्वर्ग की नदी हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अस्थियों को गंगा में प्रवाहित करने से उस व्यक्ति की आत्मा को शांति मिलती है और पवित्र जल के स्पर्श से आत्मा के लिए स्वर्ग के दरवाजे खुल जाते हैं।