For 10 years, Ramlila of Railway Institute became an example of Hindu-Muslim brotherhood, did not stop acting even after protest | 10 साल पहले अपने गुरु के कहने पर मारीच का रोल निभाया, समाज के लोगों ने किया विरोध तो बोले- राम जन के आराध्य
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आगरा27 मिनट पहले
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आगरा के रेलवे संस्थान में होने
आगरा के रेलवे संस्थान में होने वाली रामलीला हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की मिसाल है। इस मंच पर मुस्लिम समाज का भी प्रतिनिधित्व होता है। रेलवे में ट्रैक मैन पद पर कार्यरत रहे निजामुद्दीन 10 साल से रामलीला में मां सीता के पिता जनक का किरदार निभा रहे हैं। कई बार उन्हें अपने समुदाय के लोगों का विरोध भी झेलना पड़ा। उन्होंने लोगों को यह कहकर चुप कर दिया कि भगवान राम जन-जन के आराध्य हैं।
पहली बार मारीच का रोल निभाया था
कैंट के रहने वाले निजामुद्दीन आगरा कैंट पर होने वाली रामलीला से 10 साल पहले जुडे़ थे। निजामुद्दीन ने बताया कि रेलवे कर्मचारियों द्वारा होने वाली रामलीला में उनके गुरु मनोज रावण का किरदार निभाते हैं। 10 साल पहले उन्होंने उनसे रामलीला से जुड़ने के लिए कहा। उनके कहने पर उन्होंने 2011 में पहली बार राम लीला में मारीच का रोल निभाया था। इसके बाद वो रामलीला से जुड़ गए। इसके बाद वो रामलीला में जनक, मारीच और श्रवण कुमार के पिता शांतुन का किरादार निभाते आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि इसके अलावा अगर कभी कोई कलाकार किसी कारणवश नहीं आ पाता है तो उसका किरदार भी निभाते हैं।

आगरा कैंट रेलवे संस्थान में होने वाली रामलीला में जनक का किरदार निभाते निजामुद्दीन।
कई बार विरोध भी झेलना पड़ा
निजामुद्दीन बताते हैं कि रामलीला में अभिनय का उन्हें विरोध भी झेलना पड़ा। कई लोगों ने इसका विरोध किया, लेकिन उन्होंने इसकी परवाह नहीं की। उनका कहना है कि भगवान राम किसी एक के नहीं है। वो जन-जन के आराध्य हैं। मर्यादा पुरुषोत्तम का अर्थ है, पुरुषों में उत्तम, तो वो सब पुरुषों व मानव जाति के लिए पुरुषोत्तम हैं। इसके अलावा हम भारत के रहने वाले हैं और रामलीला में भगवान की लीला करने का सौभाग्य मिलता है। इसके अलावा चाहे हिंदू धर्म हो या मुस्लिम धर्म सभी में एक ही बात कही गई है कि भगवान और अल्लाह कण-कण में बसते हैं। रामलीला के माध्यम से उन्हें सभी लोगों को प्यार उन्हें मिलता है।
अगली पीढ़ी को भी कर रहे तैयार
उन्होंने बताया कि उनके परिवार ने कभी रामलीला में अभिनय का विरोध नहीं किया, वो तो खुद रामलीला देखने आते हैं। इसके साथ वो चाहते हैं कि उनकी आने वाली पीढ़ी भी इस क्रम को जारी रखे, इसलिए वो अपने नाती को रामलीला में लाते हैं। अभी वो छोटा है तो उसे वानर और दूसरे किरदार दिए जाते हैं। वो चाहते हैं कि जब तक रामलीला का मंचन हो, तब तक उनक परिवार का प्रतिनिधित्व रामलीला में होता रहे।